Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -01-Jan-2023 नये साल का पहला दिन

                        ऩये साल का पहला दिन

                         *******************


                     चौधरी के पूरा परिवार बहुत खुश था क्यौकि आज उनके पोते राज का जन्म दिन भी था और आज नयी साल का  पहला दिन भी था। आज का दिन उसके लिए डबल खुशिया लेकर आया था।

      चौधरी सुरजा राम पुरानी बाते भूलकर इस नये साल को यादगार बनाना चाहते थे। वह परिवार में खुशी देखना चाहते थे बैसे तो चौधरी साहब कभी भी नया साल नहीं मनाते थे।

     परन्तु जब नये साल में राज उनकी खुशी बनकर आया था तब  वह नया साल बहुत ही जोर शोर से मनाने की सोच रहे थे। राज का पहला जन्म दिन था  

          जब वह उसके जन्म दिन को मनाने की तैयारी करवा रहे थे  उसी समय उनके पास एक फौन आया और फौन पर  जैसे ही उन्होने हेल्लो बोला दूसरी तरफ से जो आवाज आई उस आवाज को सुनकर उनके चेहरे से खुशिया गायब होगयी और उनका चेहरा क्रोध से तमतमा गया और उनकी आँखौ से अंगारे बरसने लगे।

    लेकिन दूसरी तरफ से अट्टहास की आवाज आरही थी और वह अट्टहास करता हुआ ही दूसरी तरफ से चीखता हुआ बोला," चौधरी यह बच्चा मुझे देदे इस पर तेरा कोई हक नही है। यह बच्चा मेरा है तू भी अच्छी तरह जानता है कि तेरा बेटा नपुंसक था उसके औलाद हो ही नहीं सकती थी।  मैने तेरे बेटे को साफ कह दिया था कि तेरी पत्नी से होने वाली  पहली सन्तान पर मेरा हक होगा  क्योकि मेरी पत्नी के सन्तान नही होसकती थी। परन्तु तेरा बेटा पहले ही इस संसार को छोड़कर चला गया इसमें मेरा क्या दोष है ? मै एक दिन अपने बेटे को लेकर ही मांनूँगा । " इतना कहकर उसने फौन काट दिया।

     चौधरी कुछ नही बोल सका।

  चौधरी सुरजाराम के केवल एक ही संतान हुई थी वह भी नपुंसक था लेकिन सुरजा राम ने उस समय दाईयौ को पैसे देकर इस बात कोछिपा लिया और अपने बेटे का पालन करने लगा। जब बेटा बडा़ हुआ चौधरी ने यह सोचकर अपने बेटे की शादी करली कि वह किसी तरह  बहू को समझाकर कहीं से एक बच्चा गोद लेलैगे।

     लेकिन यह सब उल्टा होगया  चौधरी के बेटे धीरज ने सुहागरात से फहले जब यह बात अपने दोस्त को बताई तब उसका दोस्त बोला  इसका एक उपाय है यदि तू मान ले  तो बताऊँ।

      धीरज ने जब अपने दोस्त शंकर को पूछा तब वह बोला ," देख धीरज यह बात हम दोनौ के बीच में ही रहेगी। तू  यहाँ से हनीमून पर चला जा । और तुम दोनौ जिस होठल में रुकोगे उसी होठल में मै भी आजाऊँगा। मै रात को  तेरे कमरे में आकर सोजाऊँगा और तेरीपत्नी के साथ सम्बन्ध बनालूंगा क्यौकि मेरी पत्नी कभी भी माँ नही बन सकती है।  जो पहला बच्चा होगा उस पर मेरा अधिकार होगा। दूसरे बच्चे पर तेरा हक होगा।

      धीरज बोला," मेरी पत्नी  सबिता यह बात कभी भी नही मानेगी। ?,"

    तब शंकर बोला " हम रात को उसे नशे की गोली देदेगे उसे कुछ मालूम नहीं होगा। जब सुबह वह जागे तब तू उसे समझा देना कि यह सब  मैने ही सोते में तेरे साथ किया है। तुझे नशा जैसा होगया था । इसलिए तू सो रही थी। और जब एक बार सब ठीक होगया तब औरत कुछ नहीं बोलती।

    धीरज यह बात मानगया और सब कुछ उसी तरह हुआ सुबह जब  सबिता को  होश आया तब धीरज ने  उसे नशे व थकान  बता कर समझा दिया। परन्तु जबतक उसको मालूम हुआ कि वह माँ बनने वाली है तब तक धीरज की एक एक्सीडैन्ट में मौत होगयी थी और यह राज केवल शंकर ही जानता था।

             चौधरी सुरजा राम को जब सबिता के माँ बनने की खबर लगी वह बहुत खुश हुआ और वह इसे ईश्वर का वरदान समझने लगा  लेकिन वह इस बात को हल्के में नही लेना चाहता था।

  और एक दिन  चौधरी ने उसकी सुपारी देदी क्यौकि वह इसबात को राज ही रहने देना चाहता था। और इस तरह शंकर की हत्या करवादी थी ।

     अब चौधरी ने अगली साल के पहले दिन को पूरे जीवन की खुशियौ में बदल लिया। रास्ते के कांटे को जड़से उखाड़ दिया।


आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "


   14
9 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 10:46 PM

Very nice

Reply

Bahut sunder 👌

Reply